Allegations of encroachment on deities' land in Kullu are baseless, High Court dismisses petition
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हाई कोर्ट ने कुल्लू में देवताओं की जमीन पर कब्जे का आरोप किया गया निराधार, याचिका खारिज

Allegations of encroachment on deities' land in Kullu are baseless, High Court dismisses petition

Allegations of encroachment on deities' land in Kullu are baseless, High Court dismisses petition

शिमला:प्रदेश हाईकोर्ट ने कुल्लू में देवी-देवताओं की जमीन अपने नाम करने को लेकर दायर एक याचिका शनिवार को खारिज कर दी। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने देव शक्ति चैरिटेबल ट्रस्ट (Dev Shakti Charitable Trust) की याचिका पर यह निर्णय सुनाया। कोर्ट ने हालांकि यह छूट दी कि यदि देवताओं की जमीन को गैरकानूनी ढंग से स्थानांतरित किया गया है तो उस स्थिति में सक्षम अदालत में दावा दाखिल करने के ट्रस्ट स्वतंत्र है।

कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 के मुताबिक हाईकोर्ट के पास इस तरह के मामलों का निपटारा करने का क्षेत्राधिकार नहीं है। देव शक्ति चैरिटेबल ट्रस्ट का आरोप था कि कुल्लू के देवी-देवताओं की जमीन को गलत तरीके से पुजारियों और कारदारों ने अपने नाम कर लिया है। कोर्ट को बताया गया था कि वर्ष 1948-49 में देवी-देवताओं के नाम कुल जमीन 90744 बीघा थी। वर्ष 2011-12 में यह केवल 8458 ही रह गई है। देवी देवताओं की लगभग 84,000 बीघा जमीन को पुजारियों और कारदारों ने अपने नाम करवा दिया।

याचिकाकर्ता के आरोप तथ्यों के विपरीत

कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीले सुनने के बाद अपने निर्णय में कहा कि याचिकाकर्ता के आरोप तथ्यों से विपरीत है। सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि देवी-देवताओं की जमीन को भूमि अधिनियम के तहत निहित करते हुए इसका सही उपयोग किया गया है।